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समलैंगिक सम्बन्धोंका विरोध करने के लिए भारतीय जनता पार्टी को बधाई. देश को बिन साम्प्रदायिक बनानेकी बातोंमें हमारे राजकारणी अधार्मिक बनाने की ओर ले जा रहे है. चाहे समलैंगिक सम्बन्ध हो या लिव इन रिलेशनशिप हो, बड़े ही मूर्खतापूर्ण विधान टेलीविज़न पर देखनेको मिलते है. हर कोई अपने आपको खुले मनका दिखानेकी कोशिश करता है. आज भी हमें पश्चिमी देशोंके सर्टिफिकेटकी दरकार रहती है. ऐसा लगता है कि समय आ गया है जब हर विचार धाराके साधू संतोंको वैचारिक भेद भूल कर एक जुट होकर सामाजिक प्रहरी बनना पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसलेको दुर्भाग्यपूर्ण या निराशाजनक बतानेवाले राज नेता अपने पश्चिमी संस्कार एवं पढ़ाई का ही प्रदर्शन कर रहे है. भारत का विकास पश्चिमी तर्ज पर हो यह दृष्टिकोण बडाही घातक है. पश्चिमी चश्मे लगानेवाले ऐसे नेता वास्तवमे भारतकी अति मूल्यवान सांस्कृतिक धरोहर को नहीं जानते.
इस माहोलमें भारतीय जनता पक्षका अप्राकृतिक यौन सम्बन्धोंका विरोध करना बहोत ही मायने रखता है. इतना स्पष्ट रूप से कहने के लिए श्री राजनाथसिंगजी और अन्य नेताओंको हार्दिक धन्यवाद.
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